Saturday, 4 July 2015

"सुख के सब साथी,.. दुःख में न कोय"

सुनो!!
मैंने 
अपने दरवाज़े पर 
"इश्क" लिखा,..

और 
सुनती रही 
खटखटाने की आवाज़ें
मुस्कुराती रही
खिड़की से झांक कर
आसपास मंडराते लोगों को देखकर,..
और 
सोचती रही
ये सारे लोग कहाँ थे ???
तब
जब मैंने दरवाजे पर 
"दर्द" लिख रखा था,....
सच है
"सुख के सब साथी,..
दुःख में न कोय",.. 
tongue emoticon

 प्रीति सुराना

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