Wednesday, 15 July 2015

डरपोक तन्हाई

सुनो
ये तन्हाई भी ना!!!!
बड़ी ही डरपोक सी है,.

किसी के कदमो की
जरा सी आहट पाते ही
दुबक कर बैठ जाती है
मन के किसी कोने में,..

और
मुझे छोड़कर
कहीं जाने का
हौसला भी नहीं रखती,..

मजबूरन
मैंने उसे मान लिया है
मेरे जीवन का
अभिन्न अंग,..

और
जब से
ये माना है
तब से..

मैंने कभी भी अपनी तनहाई का साथ नहीं छोड़ा
भीड़ में भी कभी मैंने उसका हाथ नहीं छोड़ा,..प्रीति सुराना

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