स्त्री को "नाजुक दिल"
और
पुरुष को "पत्थर दिल"
मानने वालों,..
काश!
कभी सोचा होता,..
कहीं दुनिया में
सामंजस्य और संतुलन
बनाए रखने के लिए
स्त्री ने नाजुक दिल में
"फौलादी इरादे",..
और पुरुष ने पत्थर से दिल में कोई "प्रेम का सोता"
दबाया /छुपाया तो नहीं,....????,...प्रीति सुराना
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