Friday, 13 February 2015

मेरी मंजिल यही,..

कुछ भी गलत या हो कुछ भी सही,..
मेरी राहें यही,....मेरी मंजिल यही,..
तेरी बाहों में ही तो है दुनिया मेरी,..
मुझे जीना यहीं,..मुझे मरना यहीं ,..प्रीति सुराना

3 comments:

  1. बहुत ही सुंदर पंक्तिया... आप इसमें दो चार लाइने अगर और जोड़ देती तो यह और भी लाजवाब हो जाता ...
    मेरे ब्लॉग पर आप सभी लोगो का हार्दिक स्वागत है.

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