हां ! मुझे दर्द होता है,..
जब तुम मुस्कुराते हो
पर नजरें चुराकर,..
जब तुम रोते हों
मेरी बाहों में आकर,..
हां ! मुझे दर्द होता है,..
जब तुम बातें छुपाते हो
बातें बनाकर,..
जब तुम सब जताते हो
कुछ न बताकर,..
हां ! मुझे दर्द होता है,..
जब मुझे आवाज देते हो
खामोश रहकर,..
जब तुम तनहा से रहते हो
मेरे साथ होकर,..
हां ! मुझे दर्द होता है,..
जब तुम खुद को सज़ा देते
मुझसे खफ़ा होकर,..
जब प्यार नहीं है तुम्हे मुझसे
ये बात कहते हो,....मुझे सीने से लगाकर,.....
हां ! मुझे दर्द होता है,..प्रीति सुराना
आभार आपका __/\__
ReplyDeleteपारस्परिक प्रेम की गहराई को दिखाती यह रचना बहुत ही भावपूर्ण है। बहुत अच्छा प्रयास। स्वयं शून्य
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