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एक कोशिश
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सीमा है सहने की,
पीर सहूं कैसे
तेरे बिन रहने की,...
बस है ये ही कहना,
इक पल भी मुझको
बिन तेरे ना रहना,..
गम को हर पल पीना,
लगता सदियों सा
तुझ बिन पलभर जीना,..
जीने की चाहत है,
मार समय की है
जिससे मन आहत है,...
सच ही है ये बातें,
काल नही थमता
सुख दुख आते जाते,...
प्रीति सुराना
प्रवाहमान छिटकन
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteधन्यवाद
ReplyDeleteबहुत सुंदर !
ReplyDeletethanks
Deleteअच्छी लगी। शुभकामनाएँ
ReplyDeletethanks
Deleteअच्छा लिखा है आपने-- बधाई हो
ReplyDeletethanks
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