Sunday, 10 February 2013

सब कहती हैं ये संवेदनाएं,...,


चंद बातें हायकू में:----  


तूने जो कहा
वो तो अधूरा लगा, 
अनकहा सा.... 
पर
न कह कुछ
मै जानती हूं जो तू
न कह सका,...

पढ़ ली मैंने
नयनो की बतियां
कुछ न कह,...
क्योंकि
मौन है पर
सब कहती हैं ये
संवेदनाएं,...,

मेरा विश्वास
अधूरा नही बस
अनकहा था,....
पर
दर्पण में हूं
मैं ही तेरे मन के,
टूट गई तो???....प्रीति सुराना

1 comment:

  1. समवेदनाएँ सब कहती हैं और सच भी कहती हैं।


    सादर

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