चाहे न रहो तुम मेरे साथ,
पर अपने होने का एहसास रहने दो,....
न हो मेरे हाथों में तुम्हारा हाथ,
पर मन में एक आस रहने दो,..
माना मैं सहम जाती हूं अकेले में,
सन्नाटे में धड़कनो की आवाज रहने दो,...
जो हवाएं छूकर गुजरती है तुमको,
उन हवाओं मे तु्म्हारा वास रहने दो,...
नजरे न कर सके तुम्हारा नजारा न सही,
पर मन में तुम्हारा आभास रहने दो,...
माना नदी के दो किनारों से है हम,
पर कभी बहेगा "प्रेम का सोता" कोई,....
अपनी किस्मत पर ये विश्वास,
और अंतरमन में एक आस रहने दो,....प्रीति
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