सुनो!
मैंने खोल दिए
दिल के दरवाजे
आज निकाल दी
मन क़ी घुटन सारी,
मैं जानती हूं
मेरे लिए
तुम्हारे जज़बात
तुम्हारी सांसों मे घुले हैं,
हवाएं रूक गई
तो तुम्हारी खुशबू
मेरी सासों मे
मिलेगी कैसे,.
बस
इसीलिए
मैं तनहाई के
बंद कमरों से
बाहर निकल आई हूं,...प्रीति सुराना
waah
ReplyDeletethanks
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