बार बार या मारी जाए,या बिन सीचे ही मुरझाए,
क्या भूल अनखिली कलियों की,जो वो यूं रौंदी जाए,
क्या बन सकता है नव जीवन,जो नामोनिशां न रहे उसका,
क्या खिल सकता है उपवन कोई,जो बीज न रोपा जाए,
कोई जीव नही जग में ऐसा,जो नर पैदा कर पाए,
कोख थी किसकी जना है जिसने,कोई बस इतना बतलाए,
जो है जननी,अन्नपूर्णा,कामना सब पूरी करती है,
फिर भी कन्या जन्म से मृत्यु तक और जन्म से पहले भी मारी जाए,
जब न बचेगी कोई कन्या,तब सृष्टि आगे बढ़ेगी कैसे
ये मेरा एक यक्ष प्रश्न है,कोई बूझ सके तो मुझे बतलाए,....प्रीति
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