Saturday 7 January 2012

बेमज़ा


तनहाई में भी तनहा नहीं हम,,
खोए रहते हैं ख्वाबों खयालों में,
जिंदगी अब बेमज़ा न रही,
हम उलझे रहते हैं अपने ही सवालों ,......प्रीति

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