किसी की दया का पात्र बनने से
बचने के लिए
हंसी की आड़ में छुपाया हुआ गम,
कलह और क्लेश से
बचने के लिए
खामोशी की ओट में दबाया आक्रोश,
मन के जमे डर को
छुपाने के लिए
दुनिया के सामने दिखावटी जोश,
दरिंदगी का मुखौटा पहने
वक्त का मारा
एक आम आदमी,
जैसे आत्मरक्षा के लिए
शेर की खाल पहने
मासूम सा खरगोश,.....प्रीति
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