Sunday 8 January 2012

एक रिश्ते का सफर


मैं
पहले
महसूस करती हूं
एक रिश्ते का बनना
रिश्ते से हासिल अधिकार
रिश्ते से मिले दायित्व
रिश्ते की संजीदगी

मैं
फिर
महसूस करती हूं
एक रिश्ते का निर्वाह,
रिश्ते पर अधिकारों को लादना
रिश्ते के दायित्वों का बोझ उठाना
रिश्ते के प्रति कई नाकाम कोशिशें

मैं
अंततः
महसूस करती हूं
एक रिश्ते का टूटना
रिश्ते के चटखने की आवाज़
रिश्ते के टूटने का दर्द
और एक टूटा हुआ रिश्ता

शायद
यही है
हर ऐसे रिश्ते का सफर
जिसे इंसान
भावनाओ के आधार पर बनाता है
वरना खून के रिश्ते को जिंदगी भर तो
हर इंसान (कभी-कभी मजबूरीवश) निभाता है,.......प्रीति सुराना

0 comments:

Post a Comment