Sunday 25 December 2011

तरन्नुम



तरन्नुम:---

फिजाओं ने छेड़ी ये कैसी तरन्नुम,
कोई गज़ल गुनगुना लूं ये दिल चाहता है,
दूर है सारी खुशियां,मैं आज तनहा हूं,
गम को हमसफर बना लूं ये दिल चाहता है,

बहारो की खुशबू में मुझे घुटन सी होती है,
नजारों को देखूं तो आंखों में जलन सी होती है,
फूल हजार बिछे हों राहों में फिर भी,
कदम कांटों पर ही रखूं ये दिल चाहता है,

खुशी साथ हो तो उलझन सी होती है,
हंसी साथ हो तो सिहरन सी होती है,
कोई मुझे प्यार देना भी चाहे तो,
सितम सबके पा लूं ये दिल चाहता है,

सजती हैं महफिलें खुशियों की कई दिलकश,
मेरे अपने चाहते हैं मनाना मेरे साथ जश्न,
खूबसूरत सा कोई तराना सुनाए फिर भी,
मैं आंसू बहा लूं ये दिल चाहता है,

फिजाओं ने छेड़ी ये कैसी तरन्नुम,
कोई गज़ल गुनगुना लूं ये दिल चाहता है,......प्रीति

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