Tuesday, 20 December 2011

बेनकाब


जब जिंदगी हसीन लगने लगी हमें,
तो फिर एक ऐसा मोड़ आ गया,
तब मुस्कुराहटों को समेट कर रख दिया हमने,
गमों का साथ हमें रास आ गया,

हंसी,खुशी,चाहतें,आरजू और तमन्नाओं के काफिले,
हर बात से दूर रहकर,तनहाईयों को पा लिया हमनें,
इस तनहाई में भी जीने का मज़ा आ गया,
और जिंदगी हसीन लगने लगी,............

ख्वाब,हकीकत,सच,झूठ,वफा और बेवफाई,
हर सवाल सुलझा कर भी,उलझनों को पा लिया हमनें,
इन उलझनों का साया हम पर छा गया,
और जिंदगी हसीन लगने लगी,............

कुछ अरमान, कुछ सपने,कुछ पराए और अपने,
अपनो को खोकर भी अपनापन पा लिया हमनें,
हर रिश्ता बेनकाब होकर जब खो गया,
और जिंदगी हसीन लगने लगी हमें,
तो फिर एक ऐसा मोड़ आ गया,
तब मुस्कुराहटों को समेट कर रख दिया हमने,
गमों का साथ हमें रास आ गया,......................प्रीति सुराना

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