जो मुझे जिंदगी में कभी न मिला,
वो प्यार क्या होता है,
जो कभी मेरी रहगुजर से न गुजरा,
वो खुशियों का कागार क्या होता है,
हर पल बेरूखी में बीते,
हर दिन उदास बीता,
हर रोज तुम्हारे लब हंसते हैं तो,
वो हंसी का तसव्वुर क्या होता है,
मैनें हर बात दिल में दफन की है,
हर वक्त तनहाई सही है,
तुम जो घिरे रहते हो भीड़ से तो ,
वो महफिलों का मज़ा क्या होता है,
मेरे पास तो जीने का मकसद भी नहीं है,
न दिल में जीने की आरजू रही है,
तुम तो जीना भी चाहते हो तो,
वो जिंदगी का दस्तुर क्या होता है,
जो मुझे जिंदगी में कभी न मिला,
वो प्यार क्या होता है,
जो कभी मेरी रहगुजर से न गुजरा,
वो खुशियों का कागार क्या होता है,.......प्रीति
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