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डर को भूलकर हर भ्रम को तोड़ दिया पल भर में जीवन का रुख मोड़ दिया दुर्गम पथ पर जब से चलने की ठानी हमनें हर परिणाम समय पर छोड़ दिया
प्रीति सुराना
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