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यकीन करने की आदत थी करते चले गए यकीन की फितरत है टूटना था टूट गया अब दर्द है, आँसू है, बेबसी है संभाला है खुद को इसलिए दिल से दुआ ही निकलती है,..!
प्रीति सुराना
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