Wednesday, 12 May 2021

चमत्कार से कम नहीं,..!


            दो बिल्कुल विपरीत लड़कियाँ रुप, रंग, व्यक्तित्व, व्यवहार, परिस्थितियाँ और परिवेश की 3 माह 21 दिन का उम्र में फर्क था। छोटी लड़की के पहले जन्मदिन में मोहल्ले के बच्चों के साथ पहली बच्ची को भी बुलाया गया। उस पहली मुलाकात के बाद एक मोहल्ला, एक ही रिक्शा, एक ही स्कूल लेकिन केजी1 से 10वीं तक अलग अलग सेक्शन्स में रहीं या ये समझ लीजिए कि दोनों की दोस्ती के कारण रखा गया। ग्यारहवीं में एक ही विषय होने के बाद सिर्फ 2 साल एक क्लास में रहीं। घर पर भी परिवारों में बहुत मेल न था। एक तरह से एक के घर सर्व सुविधाओं के बीच बंधन कसे हुए थे, एक के घर सीमित साधनों में भी आजादी के एहसास थे। एक के घर दूसरी आती तो शान्ति से दबे पांव, दबी आवाज़ और दबे अंदाज़ में दूसरी के घर पहली आती तो झूले की पेंगों से भी तेज, तूफान की तरह और शरारतों की टोकरी लिए।
        वक़्त ने करवट ली। पहली जो ननिहाल में रही बचपन से वो पहुँच गई नाना घर से अपने घर। वहाँ से 3 साल बाद ससुराल। उसकी शादी के 4 साल बाद दूसरी की शादी हुई।
        सच कहूँ तो आज भी सैंकड़ों मीलों की दूरी है, दोनों में कोई समानता, कोई स्वार्थ, कोई लाभ-हानि नहीं सिर्फ एक ही आधार पर टिका है दोनों का रिश्ता वो है "विश्वास युक्त प्रेम"।
        हाँ! आज पूजा का जन्मदिन है और प्रीति-पूजा की विस्मयकारी दोस्ती की 44वीं वर्षगाँठ भी। जो किसी *चमत्कार* से कम नहीं। ढेरों शिकायतों के बाद भी दोनों खुश हैं साथ-साथ वो भी ताउम्र दोस्ती निभाने के लिए सपरिवार❤️😘। 

डॉ प्रीति समकित सुराना

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