जिंदगी! देख
तू है तो सब कुछ है
तू है और मैं मर-मर कर जियूँ
ये ठीक तो नही है न?
और तेरे लिए ही
हर हालात से
लड़ना सीख लिया है मैंने,..
छलावा नहीं है
अब मेरी मुस्कुराहट में
अपने दर्द और आँसुओं को
पीना सीख लिया मैंने,..
हाँ जिंदगी! देख
मैं खुश हूँ
और
तेरी खातिर
जीना सीख लिया मैंने,..!
डॉ प्रीति समकित सुराना
बहुत सुंदर
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