अगर मैं न भी बोलूँ तो, ये आंखें बोल जाती है।
छुपाऊं लाख मैं तुमसे, ये पलकें भीग जाती है।
दो पल भी जो हो ओझल
मेरी आँखों की सीमा से,
तड़प उठता है मन मेरा
एक अनजानी पीड़ा से,
तुम्हें अब क्या मैं समझाऊं, तुम्हीं में जान बसती है,
तुम्हीं से ख़्वाब सजते हैं, तुम्हीं संग नींद आती है,...!
तुम्हारे साथ जीना है
तुम्हारे साथ ही मरना
तुम्हीं से जिंदगी मेरी
तुम्ही से है खुशी सारी
लगा लो तुम गले से तो, सभी डर भाग जाते हैं
सिमटकर तुम्हारी बाहों में, मेरी दुनिया समाती है,..!
कभी न छोड़ना तुम साथ
मेरे मेहंदी रचे ये हाथ
तुम्हीं ताकत हो अब मेरी
मगर तुम्हीं हो कमजोरी
तुम्हीं संग चैन मिलता है, तुम्ही से मन भी मिलता है
तुम्ही से दिल धड़कता है, तुम्ही से सांस आती है,..!
अगर मैं न भी बोलूँ तो, ये आंखें बोल जाती है।
छुपाऊं लाख मैं तुमसे, ये पलकें भीग जाती है।
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