Tuesday, 4 February 2020

अपने दर्द सारे दर्द से ही काट लेती हूँ

अपने दर्द सारे दर्द से ही काट लेती हूँ
और हर खुशी अपनों में ही बाँट लेती हूँ

जीने के बहाने यूँ सबको नहीं मिलते
खुशियों के फूल भी यूँहीं नहीं खिलते
बुरे पल छोड़कर मैं अच्छे छाँट लेती हूँ
अपने दर्द सारे दर्द से ही काट लेती हूँ
और हर खुशी अपनों में ही बाँट लेती हूँ

कौन कहता है समय सुनता नहीं बातें
सोचकर देखो दिल से कैसे हो दिन रातें
ख्वाहिशों को भी बच्चों सा डाँट लेती हूँ
अपने दर्द सारे दर्द से ही काट लेती हूँ
और हर खुशी अपनों में ही बाँट लेती हूँ

उबड़ खाबड़ हैं जिंदगी के रास्ते तो क्या
संघर्ष बहुत है मंजिलों के वास्ते तो क्या
हौसलों से राहों के गड्ढे पाट लेती हूं
अपने दर्द सारे दर्द से ही काट लेती हूँ
और हर खुशी अपनों में ही बाँट लेती हूँ

ऐसा नहीं कि मुझे कोई डर नहीं लगता
लिपट कर रो लूँ कभी ये मन नहीं करता
पर आँखों में तब छुपा बरसात लेती हूं
अपने दर्द सारे दर्द से ही काट लेती हूँ
और हर खुशी अपनों में ही बाँट लेती हूँ

प्रीति सुराना

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