कुछ दर्द
होते हैं
ऐसे!
जो चाहते हैं
साथ घड़ी भर
किसी अपने का,..
रखकर कांधे पर सिर
भूलना चाहते हैं
टीस दिल की,..
लेकर हाथों में हाथ
पूछने के इंतज़ार में
तुम ठीक तो हो न,..
तभी किसी अपने का
अनदेखा करके गुजर जाना
फिर दे जाता है दर्द,..
और ये नया दर्द
फिर से चाहता है
साथ उसी अपने का,..
और
और
और फिर,...
वही कहानी खुद को दोहराती हुई।
प्रीति सुराना
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