हाँ!
मैं चाहती हूँ बड़ी शिद्दत से
रचो मेरे हथेलियों में हिना की तरह,
तुम कुछ पल ही रहो साथ
पर रहो तो साथ रहने की तरह,
मत सुनाओ पूरी दास्तान
कुछ कहो तो दिल से कहने की तरह,
मत देखो मुझे गौर से लेकिन
देखो तो पलभर नज़र में भरने की तरह,
कब कहा मैंने कि मुझे बाहों में भर लो?
हाथ में हाथ तो लो मन को छूने की तरह,
मेरी धड़कनों को न सुनो कोई बात नहीं
अनकहा खामोश एहसास सुन लो तरानों की तरह,
सुनो!
मैंने कभी नहीं कहा
कि रहो उम्रभर मेरे सामने सब छोड़कर
पर गुज़ारिश सिर्फ इतनी सी है
तमाम उम्र जिस्म में रहो मेरी रूह की तरह,..!
प्रीति सुराना
0 comments:
Post a Comment