सुनो!
अनमनी सी हूँ
काम का दबाव
समय का अभाव
मौसम का प्रभाव
और
चिड़चिड़ा सा स्वभाव
भावनाओं का बहाव
मन में निराशा का भराव
पर
जानती हूँ तुम संभालोगे मुझे
नहीं दोगे धोखा
न छोड़ोगे हाथ
न छोड़ोगे साथ
तुम हो तो कर लूंगी
ये लक्ष्य भी पार
तमाम बेचैनियों के बाद भी
तुम्हारे साथ के
अटूट विश्वास के दम पर,..!
दोगे न अंतिम पड़ाव तक साथ मेरा?
सचमुच
जब कोई बात बिगड़ जाए
या मुश्किल पड़ जाए
तुम देना साथ मेरा
मेरे हरकदम, हमराज, हमनावज़,... !!
प्रीति सुराना
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