"मेरा मन"
copyrights protected
Sunday, 29 December 2019
हिम की चादर
हिम की चादर ओढ़कर,
सागर के उस छोर पर,
धरती अंबर से मिली,
सारे बंधन तोड़कर।
डॉ. प्रीति सुराना
1 comment:
दिगम्बर नासवा
29 December 2019 at 19:50
बहुत खूब ...
Reply
Delete
Replies
Reply
Add comment
Load more...
‹
›
Home
View web version
बहुत खूब ...
ReplyDelete