नूतन वर्षाभिनंदन (20-20)
"सखा भाव"
हर रिश्ते में
दोस्ती ढूंढती मैं
खुद तलाशती हूँ ये जवाब
कि क्यों चाहिए मित्रता मुझे सबसे?
खुद ही खुद को
देती हूँ जवाब
"मैत्री भाव जगत में मेरा,
सब जीवों से नित्य रहे"
क्योंकि मित्रता का भाव
मुझे ठहरने नहीं देता,
टूटने के बाद भी रोने नहीं देता,
हौसला देता है हर हाल में जीने का,..!
सखा भाव मुझे इर्ष्या
और दूसरों को नीचा दिखाने के लिए
खुद का स्तर
निम्न करने से रोकता है।
बस यही है मेरे जीवन का सच
आने वाले वर्ष में एक ही प्रार्थना ईश्वर से
मुझसे शत्रुता के भाव किसी के मन में न आए
जाते हुए साल की विदाई में सभी मित्र बन जाएं।
सखा भाव सदा बना रहे
मेरे जीवन के हर पल में
बस यही याचना ईश से
कल आज और कल में,..!
प्रीति सुराना
जरुरी हैं सखा भाव
ReplyDeleteसुकून के पल छुपे हैं इसमें
नववर्ष मंगलमय हो आपका!