मेरा ऐसा हर दिन दीवाली है
आँगन में खुशियों के दीप जले
और अरमानों की रंगोली सजे
घर में बच्चों की जमघट हो
और दिन भर उनका ही शोर मचे
बात-बात में मम्मी के हाथों के
पकवानों की फरमाइश हो
खिलखिलाहट और जगमगाहट की
घर के हर कोने में गुंजाइश हो
साथ बैठ कर गपशप हो
बीते सालों की बातें हो
दिन छोटे-छोटे लगते हों
रातों को जगने की ख्वाहिश हो
सिर पर सब बड़ों का हाथ हो
शुभ संकल्पों की शुरुआत हो
हँसी-खुशी जब समय कटे
और साथ सभी जब अपने हों।
कभी चुराकर नज़रें सबसे
पलकें बोझिल और भीगी हों
अनछुए अहसासों के संग-संग
बिछड़ों से मिलने के सपने हों
ऐसा हर पल जब भी आता है
कई उम्मीदें आँगन में सजाता है
कौन कहता है दीवाली है आज
मेरा ऐसा हर दिन दीवाली है
कई खुशियाँ आने वाली है,..!
प्रीति सुराना
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