*बहुत शानदार रहा हैदराबाद में अन्तरा शब्दशक्ति का बहुभाषा समन्वय (सम्मेलन एवं गोष्ठी) आयोजन।*
*उद्घाटन सत्र*
अन्तरा शब्दशक्ति के बहुभाषा समन्वय (सम्मेलन एवं गोष्ठी) का प्रथम सत्र 21 सितम्बर 2019 उर्दू हॉल, हिमायत नगर, हैदराबाद में सुबह 11:20 पर दीप प्रज्जवलन करके कार्यक्रम का *उद्घाटन* मंच पर उपस्थित अतिथियों आ. ऋषभदेव शर्मा जी (वरिष्ठ साहित्यकार) की अध्यक्षता और दयाकृष्ण गोयल जी (वरिष्ठ साहित्यकार) के मुख्य आतिथ्य और आ. अहिल्या मिश्र जी (कादंबरी की संस्थापिका एवं लेखिका), प्रकाश बोलाकी जी (उद्योगपति), नीरज कुमार (पत्रकार), सुनीता लुल्ला (काव्यधारा संस्थापक), प्रीति समकित सुराना (संस्थापक एवं अध्यक्षअन्तरा शब्दशक्ति), कीर्ति प्रदीप वर्मा (महासचिव अन्तरा शब्दशक्ति), मीना विवेक जैन (कार्यकारिणी सदस्य अन्तरा शब्दशक्ति), वंदना दुबे (कार्यकारिणी सदस्य अन्तरा शब्दशक्ति) द्वारा किया गया। सरस्वती वंदना डॉ अर्चना पांडे ने की। अतिथियों का स्वागत शाल, मोती की माला, स्मृति चिन्ह और अन्तरा शब्दशक्ति द्वारा निःशुल्क प्रकाशित साझा संग्रहों, अन्तरा शब्दशक्ति की परिचय पुस्तिका, प्रीति सुराना के टेबिल कैलेंडर द्वारा किया गया। प्रीति सुराना ने अन्तरा शब्दशक्ति के सहयोग हेतु आभार व्यक्त करते हुए सुनीता लुल्ला का सम्मान किया।
तत्पश्चात स्वागत भाषण प्रीति समकित सुराना ने दिया। अतिथियों का परिचय उदबोधन सुनीता लुल्ला जी ने किया। सभी अतिथियों के उद्बोधन के पश्चात 1:30 पर भोजन किया गया।
*बहुभाषा गोष्ठी सत्र*
द्वितीय सत्र का आरंभ 2:15 पर आरंभ हुआ जिसमें सुनीता लुल्ला (सिंधी) एलिज़ाबेथ कुरियन मोना (मलयालम), डॉ कुमुदबाला (बंगला)0दर्शन सिंह जी (पंजाबी), रवि वैद (पंजाबी), उमा सोनी (बुंदेली), डॉ प्रेमलता(संस्कृत एवं तेलगु) चंद्रप्रकाश दायमा (हिंदी), पुरुषोत्तम कड़ेल (राजस्थानी) भंवरलाल उपाध्याय (राजस्थानी), कीर्ति प्रदीप वर्मा (बुन्देली), प्रदीप भट्ट (हिंदी), पद्मजा अय्यंगार पैडी (तमिल), वंदना दुबे (हिंदी), तस्नीम जौहर (उर्दू), संजय बर्वे (मराठी), डॉ.अर्चना पांडे (भोजपुरी), सस्मिता नायक (उड़िया), मीना विवेक जैन (बुंदेली), डॉ बालकृष्ण महाजन (वर्हाडी-मराठी की उपभाषा), जावेद नसीम (उर्दू), प्रह्लाद जोशी (कन्नड़), राजीव कुमार सिंह (भोजपुरी), कृष्ण कुमार द्विवेदी (मराठी), सुहास भटनागर (हिन्दी), सुमन बैद (राजस्थानी), प्रीति सुराना (हिन्दी) ने काव्यपाठ किया।
*सम्मान सत्र*
तृतीय सत्र में उपरोक्त सभी कवियों का सम्मान अंगवस्त्र, प्रशस्ति पत्र, *भाषा समन्वयक* का स्मृति चिन्ह एवं पांच पुस्तकों का सैट देकर किया गया। आ. ऋषभदेव शर्मा जी ने समीक्षात्मक और प्रेरक अध्यक्षीय उद्बोधन दिया। अंत मे कीर्ति प्रदीप वर्मा ने आभार व्यक्त किया।
*समापन सत्र*
उद्घाटन, स्वागत, भोजन, गोष्ठी, सम्मान, टीवी प्रसारण के लिए संवाद देने के बाद स्वल्पाहार, मेल मिलाप और ढेर सारी स्मृतियों के साथ शाम 5:30 को कार्यक्रम का समापन हुआ। एक सफल आयोजन का साक्षी बने सभी उपस्थित जनों का अन्तरा शब्दशक्ति की ओर से कोटिश: *आभार*।
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