Wednesday, 4 September 2019

वजह


हँसकर गले लगाया खुद को हर ज़ख्म हर दर्द भुलाकर,
कोशिश की खुद से मिलने की खुद के पास बुलाकर,
खुशी की तलाश में अब तक व्यर्थ ही समय गँवाया,
जब दी थी खुद ही वजह दर्द को कि जाए वो  रुलाकर।

प्रीति सुराना

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