Wednesday, 28 August 2019

पुकार

पुकार

जिस देश में तुम रहते हो
वहाँ आज भी
पूजी जाने वाली सीता ही निष्काषित की जाती है
प्रेम को तपस्या की तरह जीने वाली अहिल्या ही शापित होती है
प्रेम पुजारिन मीरा ही विष के प्याले पीती है
प्रेम की उदाहरण राधा ही विरह में जीती है
आधुनिकता की बात करने वाले
हे! पुरुष,..
क्या काम, क्रोध, मद, लोभ को त्याग कर
दे पाए आज भी
स्त्री को अपने बराबरी में बैठने का हक़?
जब तक चुप्पी साधे मौन रही स्त्री
तब तक संस्कारी कहलाई
जिस पल जिस स्त्री ने उठाई आवाज़
तत्क्षण उसे दिया उसी पुरुष ने दंड
और घोषित कर दिया 'पतिता'
उपमाएं दी मंथरा, सूर्पनखा और पांचाली की
जबकि इन सब ने भी निभाई थी
अपने हिस्से की पूरी जिम्मेदारी रिश्तों के प्रति,..!
देती हूँ आवाज़
आज पूरे समाज को
फिर कोई स्त्री खड़ी हो
संस्कारी और पतिता की श्रेणी के बीचोबीच
और इस आधुनिक स्त्री के पास है
वो समस्त प्रमाण
जो स्पष्ट कर सकते है सबकुछ
संस्कारी/पतिता नहीं
बल्कि पतित और पतिता के बीच का अंतर,..!
ऐसे में कौन महापुरुष है
जो देगा साथ कलियुग के
तथाकथित राम के खिलाफ जाकर,..!
क्यों सहे हर बार स्त्री
मौन की अब नही है जरूरत उसे
सुन सको तो सुनो
चीख रही है हर स्त्री किसी न किसी
कलियुग के राम से छुटकारा पाने को,..
प्रतीक्षा है आज मुझे
समाज से ऐसे ही किसी पुरुष की,
फिर चाहे वो पुरुष रावण ही क्यों न हो,..!
है कोई
जो उठा सके बीड़ा
आधुनिक राक्षसों से सजी
लंका बने इस देश को इस पीड़ा मुक्ति,..!
तो आगे आओ सुनकर पुकार
जो होगी तुम्हारे ही आसपास कहीं
आधुनिक सूर्पनखा
या और किसी खलनायिका के रूप में
समझो उसकी पीड़ा और बचा लो उसका जीवन!
रोक सकते हो तो रोक लो किसी का रुदन।
किसी भी रूप में आओ, पर फिर से आओ तो मधुसुदन!

प्रीति सुराना

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