आज यादों के ठिठुरते मौसम में,.. न जाने कितने अश्क पिए।
वो लम्हा लम्हा दोहराया दिल में,.. जो थे मैंने तेरे साथ जिए।
वो ठिठुरन तन की पीर बनी,.. जो सर्दी में सुखद एहसास सी थी।
वो तेरे सीने से लग जाना,.. इक वजह थी मेरे जीने के लिए,...प्रीति सुराना
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आज यादों के ठिठुरते मौसम में,.. न जाने कितने अश्क पिए।
वो लम्हा लम्हा दोहराया दिल में,.. जो थे मैंने तेरे साथ जिए।
वो ठिठुरन तन की पीर बनी,.. जो सर्दी में सुखद एहसास सी थी।
वो तेरे सीने से लग जाना,.. इक वजह थी मेरे जीने के लिए,...प्रीति सुराना
बहुत सुंदर प्रस्तुति
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