क्यूं मेरी तनहाईयों को चुरा लेना चाहें
तुम्हारी यादें मुझको अपना बना लेना चाहें
मैंने तो दुनिया में किसी को न अपना बनाना चाहा,
ये ही वो वजह थी कि मैनें ली मुंह छुपाकर आहें,
मेरी सर्द आहों को न किसी ने महसूस किया,
मेरे आंसुओं पर न किसी ने एतराज़ किया,
मरहम सा लग जाए इस टूटे दिल पर,
न किसी ने ऐसा कोई एहसास दिया,
फिर क्यूं मेरी तनहाईयों को चुरा लेना चाहें
तुम्हारी यादें मुझको अपना बना लेना चाहें
मैनें इस हाल का जिम्मा भी अपने ही नाम किया,
गमों को हमसाया बनाने का खुद को इल्जाम दिया,
खैर अब नही मुझे कोई शिकवा है किसी से,
तकदीर के लिखे को ही अपना नसीब मान लिया,
फिर क्यूं मेरी तनहाईयों को चुरा लेना चाहें
तुम्हारी यादें मुझको अपना बना लेना चाहें,........प्रीति
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