Saturday, 24 December 2011

हकीकत


छोड़कर यूं तनहा मुझको,
दूर चले जाते हो तुम,
जाना ही है तो जाओ मगर,
अपनी यादों में क्यूं तड़पाते हो तुम,.....

मैं हर बार इंतजार ही करती रह जाती हूं,
जल्दी आने का करके वादा,दगा दे जाते हो तुम,
मुझको तुमसे शिकवा करने का हक तो नही पर,
प्यार का सागर होकर भी,प्यासा मुझको छोड़ जाते हो तुम,
छोड़कर यूं तनहा मुझको,दूर चले जाते हो तुम,....

जब आते हो तो लगता है,खुशियों का खजाना मिला,
पर चुपके से दिल का चैन लूट ले जाते हो तुम,
ये हकीकत है सनम इल्जाम नही तुम पर,
कुछ पल खुशी के देकर मुझको,गमों के साथ छोड़ जाते हो तुम,
छोड़कर यूं तनहा मुझको,दूर चले जाते हो तुम,....

ढेरो शिकवे करूं तुमसे,दिल चाहता है ये,
ए सनम मुझको बेहद सताते हो तुम,
तुम्हारी यादों से जितना दूर जाना मैं चाहूं,
धीरे-धीरे उतना ही पास आ जाते हो तुम,
छोड़कर यूं तनहा मुझको,दूर चले जाते हो तुम,....

मैं जी न सकूंगी,तुम्हारे बिना अब,
मेरी मंजिल हो मुझसे दूर,बहुत दूर चले जाते हो तुम,
इंतजार होता नहीं मुझसे,अगर ये मैं कहूं,
मेरी इस बात पर खफा हो जाते हो तुम,
छोड़कर यूं तनहा मुझको,दूर चले जाते हो तुम,....

मुझको तुम पर एतबार है ए मेरे सनम,
कि मुझसे बहुत प्यार करते हो तुम,
पर क्या किस्मत पर भरोसा है तुमको,
या सिर्फ मिलन के ख्वाब मुझको दिखाते हो तुम,
छोड़कर यूं तनहा मुझको,दूर चले जाते हो तुम,.....
जाना ही है तो जाओ मगर,अपनी यादों में क्यूं तड़पाते हो तुम,.....प्रीति

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