लाख बंद कर दें
सात ताले में अकेले,
निराशा और नाउम्मीदी के साथ
अगर यकीन खुद पर जरुर हो
तो उम्मीद की किरण उन्हीं तालों में से
जीवन को रोशन करने आ ही जाती है,..!
बस जरुरत होती है
हिम्मत की, आत्मविश्वास की,
निराशा के गहन 'तम' से निकलना
इतना भी मुश्किल नहीं,
"जहाँ चाह, वहाँ राह"
इसलिए चाहत जिंदा रखना
राहत के रास्ते और वास्ते
खुद-ब-खुद
मिल जाएंगे।
डॉ प्रीति समकित सुराना


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