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जिस मोड़ पर तुमसे मिलने की उम्मीद होगी, यक़ीनन तक़दीर उस ओर मेरे कदम मोड़ लेगी! चाहती भी तो रोक न पाती मैं कदम अपने, जो रुक भी गई तो तुम्हारी यादें मुझे तोड़ देगी!
प्रीति सुराना
बहुत खूब
बहुत खूब
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