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कदम-कदम पर इम्तिहानों से कभी मैं डरती नहीं, ज़रा-ज़रा सी मुश्किलों की परवाह मैं करती नहीं, मेरी आँखों में आँसू नहीं सिर्फ सपने बसते हैं आँसुओं को बहा देती हूँ आँखों में भरकर रखती नहीं।
प्रीति सुराना
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