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कैसे बुनकर हो तुम?
क्या सही गलत सब कुछ देख सुनकर चुना था? क्या धागों के ऐब और खूबियों को पहले भी गुना था? उन शर्तों को जिनकी खातिर तोड़ गए नाते मुझसे क्या रिश्तों के ताने बानो में उन शर्तों को बुना था?
प्रीति सुराना
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