Tuesday, 26 February 2019

मैं-हूँ

मैं-हूँ

मैं अच्छी हूँ
मैं बुरी हूँ
मैं सही हूँ
मैं गलत हूँ
मैं खुश हूँ
मैं दुखी हूँ
मैं ये हूँ
मैं वो हूँ
मैं यहाँ हूँ
मैं वहाँ हूँ
इन सब के बीच
एक ही बात एकरूपता से समक्ष है
वो ये
कि "मैं-हूँ"
बीच में जुड़ा
हर विशेषण
हर उपमा
हर क्रिया
केवल तब तक
जब तक
"मैं-हूँ"
"मैं नहीं हूँ" में न बदल जाए,...
क्योंकि
मैं-थी
ये महज़ इतिहास होगा
जो किसी के लिए मिठास
या किसी के लिए कड़वाहट भरा होगा
किसी के लिए सीख
किसी के लिए टीस भरा होगा,..
पर मैं-थी कभी मैं-हूँ में बदलना संभव नहीं होगा।
ये समझ लेना तभी तक जब तक मैं-हूँ
अन्यथा मैं-थी ये यादें होंगी अच्छी बुरी,.. जाने क्या??

प्रीति सुराना

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