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शब्द पकड़कर भावों में तू मत करना हेरा-फेरी। फिर बात-बात में इसी बात पर होती है जोरा-जोरी। सीधी-सीधी बात कहूँ तो सीधा-सीधा ही समझो, उल्टा-सीधा समझ-बोलकर क्यों बात बढ़ाना कोरी।।
प्रीति सुराना
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