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सुनो!
क्या खोया,क्या पाया? इसका जवाब सिर्फ इतना सा कि खुद को तुम में खोकर तुमको खुद में पाया,... मेरे जीवन का पूरा दर्शन इसी समीकरण में समाया,..!
प्रीति सुराना
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