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सब हैं साथ फिर भी सभी कितने अकेले हैं, अपनेपन के महज दिखावे में कितने झमेले हैं काश होते ये रिश्ते दिल से दिल के रस्म अदायगी में भी लोग कितने हठीले हैं,... प्रीति सुराना
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