छोड़ दिया
मेरे अपनों ने अब मेरे मन का कोना छोड़ दिया
बेमतलब अब से मैंने भी रोना-धोना छोड़ दिया
आते जाते जो था मिलता वो ताने दे जाता था
ताने बानो में अब खुद को मैंने खोना छोड़ दिया
मन की भूमि बड़ी उपजाऊ जो बो दो उग जाता है
सपने-वपने, खुशियाँ-वुशियाँ ये सब बोना छोड़ दिया
बचपन में परियों वाली लोरी सुनकर ही सोते थे
लोरी-वोरी और कहानी सुनकर सोना छोड़ दिया
एक समय था जब मेरे होने का कोई मतलब था
दीवारों ने दिल बाटें तो दिलबर होना छोड़ दिया
प्रीत नहीं है झूठी मेरी सुबक सुबक कर बतलाया
बेदिल दुनिया के आगे अब मैंने रोना छोड़ दिया
डॉ प्रीति सुराना
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