Saturday, 16 November 2019

प्रीत सतत आगे बढ़ो

परिंदे घर लौट आते हैं
जब उड़ना सीख जाते हैं

जड़ें गहरी हो जिनकी
पेड़ वो ही जी पाते हैं

हालातों से लड़कर जीते
सिकंदर वही कहलाते हैं

जुनून न हो जब इरादों में
भाग्य का दोष बताते हैं

लदे कंधों पर विक्रम के
खुद वेताल बन जाते हैं

भरोसा करके मरते है
जो रिश्ता निभाते हैं

दुनिया की रीत है ये तो
जो आते हैं वो जाते हैं

सूरज जब खुद जलता है 
तब जीव प्रकाश पाते हैं

प्रीत सतत बढ़ो आगे 
सूर्य-पृथ्वी सिखाते हैं

प्रीति सुराना


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