साथ का अर्थ है
न कोई आगे
न कोई पीछे
बल्कि
सब रहे साथ साथ
डाले हाथों में हाथ
श्रृंखलाबद्ध,
और
कमजोर कड़ियों को
मजबूती से थामे
मजबूत कड़ियाँ,..
कम और ज्यादा
क्षमताओं को इरादतन
जगजाहिर करने की बजाए
जुड़कर क्षमताओं का
मजबूत और सटीक
समीकरण को जन्म देना,..
ताकि
एक का नहीं
सम्पूर्ण श्रृंखला का विकास हो
यही है सफलता का अटूट नियम,..
याद रहे ये कहावत
*अकेला चना भाड़ नही फोड़ सकता*
मंजिल तक पहुंचने के लिए
जरूरी है कदम बढ़ाना,..
और हाँ!
पर उससे भी बड़ा सच है
सोच से बढ़ता है सामर्थ्य
नियम भी यही है और धर्म भी
या समझ लो
सफलता का अनिवार्य सूत्र है
सामर्थ्य बढ़ाने के लिए
कदमों के साथ बढ़ाने होंगे
अपनी सोच के दायरे भी,..
क्योंकि
संकुचित दायरों में
घुट जाता है दम
हर सामर्थ्य और सफलता का,....!
प्रीति सुराना
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