सुनो!
मैं मौन रहकर
संचित कर रही हूँ ऊर्जा,
ताकि सही समय पर
न्यायोचित तर्कसंगत बात
सप्रमाण कह सकूँ।
प्रयासरत हूँ
कर्मशील रहूँ, गतिशील रहूँ,
क्योंकि ठहरना यानि अस्तित्व खो देना
और जीवन रहते खुद को खो देने से बेहतर
मरने से पहले जी लेना है।
समय ने ही सिखाया है
कथनी और करनी भिन्न हो
तो अवमानना तय है
इसलिए
कहकर करने से बेहतर है करके दिखाना,..!
प्रीति सुराना
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