काव्यधारा
काव्यधारा में बह चले मिलजुल मन के मीत,
साहित्य की गंगा बही निर्मल पुण्य पुनीत,
कैलाश जी की स्वरचित कविता जय जी की ग़ज़ल,
शीतल जी का हास्य सुना और श्याम जी के गीत।
किशन जी राजेश जी लाए साहित्य अपार,
सुमीत हेमंत हर्षा और ब्रजेश जी सूत्रधार,
स्वच्छ शहर इंदौर में आयोजन हुआ भव्य,
प्रेरणा जी की मेहनत से हो गया बेड़ा पार।
शारदे माँ की वंदना की लक्ष्मी जी ने सस्वर,
योगेंद्र जी की रचना का भाव भरा हर अक्षर,
संजीव धानुका जी ने आकर किया चकित,
सहस्त्र बुद्धे जी ने भी कई मुक्तक पढ़े सुंदर।
वंदना जी का प्रथम प्रयास रहा बहुत रमणीय,
डॉ रवि का काव्यपाठ था मोहक और श्रवणीय,
रागिनी ने अल्प समय में आकर बढ़ाया मोह,
नील सुनील दूजे दिन आए लेकिन रहे स्मरणीय।
अंकित हैं छोटे से वय में लेकिन किया कमाल,
हमने (प्रीति ने) भी आकर आदतन बहुत किया धमाल,
हर कवि हर कविता सुंदर थी क्या क्या करूँ बखान,
जो कविगण आए नहीं उन सब से पुछूँ हाल।
सत्यप्रसन्न जी अध्यक्ष बने, सुनाए दोहे खूब,
बहुत ही सुंदर रहा इस आयोजन का स्वरूप,
काव्यधारा ने दिया 'कवि कोविद' सम्मान,
सुनीता जी का कुशल प्रबंधन रहा समयानुरूप।
प्रीति सुराना
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