अब नहीं लगता डर अकेलेपन या दर्द से
बदल दिया जीवन को बीते हुए कल ने
रास्ते की मुश्किलों ने सहना सिखाया
हालात ने हर हाल में रहना सिखाया
ठोकरों और कांटों ने संभालना सिखाया
धोखों ने फरेब से बचना सिखाया
मन के शोर ने खामोश रहना सिखाया
अन्याय ने अपने खिलाफ लड़ना सिखाया
पर अभी भी बहुत कुछ सीखना जारी है समय से
जिसने हर बात से शिक्षा देकर सीखना सिखाया।
प्रीति सुराना
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (07-09-2019) को "रिश्वत है ईमान" (चर्चा अंक- 3451) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी