Saturday, 31 August 2019

अमृता क्या तुम चली गईं

अमृता क्या तुम चली गईं?

अमृता
तुम जा ही नहीं सकती
क्योंकि हर स्त्री के भीतर जिंदा हो तुम
बहुधा स्त्री की कल्पनाओं में साहिर है
तकरीबन इमरोज भी हर स्त्री की किस्मत में है
तुमने हिम्मत दिखाई
साहिर कल्पना नहीं सच था ये बताने की
इमरोज़ ने भी निभाया तुम्हारे हिस्से का प्रेम
साहिर के प्रति
और
इमरोज़ के प्रेम को जिस शिद्दत से तुमने अपनाया
शायद वो समझने के लिए हर किसी को 'अमृता' बनना होगा।
हाँ! तुम जिंदा हो, मेरी रूह में, मेरे जेहन में
बस आज अमृता की हिम्मत
समाज की खोखली रवायतों ने रौंद डाली
कि खुलकर कह सके
सुनो! साहिर जिंदा है,..
साहिर तुम्हारे प्रेम का खुला आसमान है
और
इमरोज तुम्हारे घर की छत
ये बात और है कि छत खुलती आसमान में है
और
ये सोचकर
तुमने अपनी तयशुदा ज़िंदगी से
बाहर निकलने का कई बार फैसला किया
पर
साहिर का साथ भी ज्यादा न चल पाया।
ज़िंदगी के आखिरी समय में
सच्चा प्यार तुम्हें इमरोज़ के रूप में मिला।
इमरोज़ ही वो छत थी
जिसने हर बात, हर राज, हर सुख-दुख को लिखते हुए
'रात की चाय' के रूप में
अंतिम समय तक साथ निभाया।
तुमने ही लिखा
*मेरी दुनिया की हकीकत(इमरोज़) ने मेरे मन के सपने(साहिर) से इश्क किया और उसके वर्जित मेल से ये रचनाएं पैदा हुईं।*
और
तुमने ही सिखाया है
आज की अमृता को सपने से इश्क करना
जिसे वो दुनिया की हकीकत से मिलकर
गढ़ सकती है अपनी अनगढ़ भाषा में,..
अगर मिले सच्चा साहिर
और उस सपने को निभाने वाले इमरोज़,..!
आज
नसीहतें हर प्रेम कविता लिखने वाली रचनाकार को मिलती है
कि लिखना हो तो बनो अमृता
पर सच ये है,..
साहिर केवल तुम्हारी कविताओं में ही है
और मेरी कल्पनाओं में,
इमरोज़ तुम्हारी जिंदगी का सच है
और मैंने भी तुम्हारी तरह कभी इमरोज़ का साथ नहीं छोड़ा
क्योंकि इमरोज़ वो हकीकत है जो कोई नहीं बदल पाएगा।
तुमने अपने प्रेम त्रिकोण से उपजी
तुम्हारी कविताओं से
जिसे तुमने नाजायज़ बच्चों की तरह इस क्रूर साहित्य समाज को सौंपकर अमर कर दिया
साहिर, इमरोज़ और अमृता को,..
बेशक
मैं नहीं बन पाई अमृता
पर आज भी है
मेरी रूह में अमृता
मेरी कल्पनाओं में साहिर
और मेरी जिंदगी में इमरोज़,..!
रोज गढ़ती हूँ अनगढ़ कविताएँ
तुम्हारी तरह ही सचमुच जीती हूँ
अपनी कविता का हर शब्द!
अमृता तुम हो कहीं न कहीं मुझमें हमेशा से हो,
अमृता तुम कहीं नहीं गई।
इसलिए
मुबारकबाद तुम्हारे जन्मदिन पर मुझे,..!

प्रीति सुराना

1 comment:


  1. जय मां हाटेशवरी.......
    आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
    आप की इस रचना का लिंक भी......
    01/09/2019 रविवार को......
    पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
    शामिल किया गया है.....
    आप भी इस हलचल में......
    सादर आमंत्रित है......

    अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
    http s://www.halchalwith5links.blogspot.com
    धन्यवाद

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