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लेखन का विषय मिला लेखनी चल पड़ी, लिख दिया मन का हाल फिर अपेक्षा बड़ी, कोई आकार वाह कह दे इंतज़ार करते रहे, बीत गई उदासियों में स्वान्तः सुखाय की घड़ी,.. प्रीति सुराना
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